६ पोह [साका १७०५ ]
सफर ए शहादत का पहला दिन
परिवार बिछोड़ा
इस दिन धंन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने अपने परिवार और साथियों के साथ श्री आनंदपुर साहिब जी को छोड़ दिया। मुगलों और पहाड़ी राजाओं ने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी और दशम पिता जी के पीछे धावा बोल दिया । साहिबजादा अजीत सिंह जी, साहिबजादा जुझार सिंह जी और बाबा उदय सिंह जी और भाई जीवन सिंह जी और अन्य गुरु के शिष्यों ने गुरु के चरणों में अपना बलिदान कर दिया और धर्मयुद्ध में वीरता दिखाई। बाबा उदयसिंह जी ने शहादत का जाम पी लिया । जहां आज गुरुद्वारा शहीदी स्थान बाबा उदय सिंह जी ( कल्प वृक्ष साहिब) भरतगढ़, रोपड़ में सुशोभित है । गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का वाड़ गया । माता साहिब कौर, माता सुंदर कौर जी, भाई मनी सिंह जी और भाई जवाहर सिंह जी के साथ दिल्ली की ओर चल पड़े। माता गुजर कौर जी और छोटे साहिबजादों को गंगू ब्राह्मण सहेड़ी ले गया, और गुरु साहिब, बड़े साहिबजादे, पांच प्यार और अन्य गुरु के प्यारे श्री चमकौर साहिब के लिए रवाना हुए। इस तीर्थ स्थल पर, अमृत वेले के भयानक युद्ध में भी गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने आसा जी कीवार का कीर्तन किया और इस तीर्थस्थल पर कई सिंह शहीद हुए।